हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत घाटियों में से एक कांगड़ा की घाटियां है। यहां बड़ी संख्या में टूरिस्ट सैर के लिए आते हैं। मंदिरों के लिए भी कांगड़ा जिला काफी प्रसिद्ध है। मशहूर शक्ति पीठ में से एक चामुण्डा देवी भी यहीं है। इसके अलावा, सितंबर महीने में यहां के महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। लोगों का मानना है कि महाकाल मंदिर के शिवलिंग पर चढ़ने वाला दूध कहीं भी बाहर नहीं निकलता है। पांडवों ने की थी महाकाल की पूजा...
- कांगड़ा के बैजनाथ से 5 किलोमीटर की दूरी पर महाकाल मंदिर है।
- देश में नासिक के बाद दूसरा शनि भगवान का मंदिर महाकाल में ही है।
- लोगों का कहना है कि यहां के शिवलिंग पर चढने वाला जल या दूध गायब हो जाता है।
- शिवलिंग पर चढ़नेवाला दूध कहां जाता है। इसके बारे में अब तक किसी को जानकारी नहीं मिल पाई है।
- कई बार साइंटिस्ट ने भी यहां के शिवलिंग पर रिसर्च किया है। लेकिन, उन्हें भी कुछ हासिल नहीं हो पाया।
- महाकाल के पूजारियों का कहना है कि भगवान शिव के तेज से यहां शिवलिंग का निर्माण हुआ था।
- पुजारियों की मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया जानेवाला दूध या पानी खुद भोलेनाथ ग्रहण कर लेते हैं।
- मंदिर के मुख्य पुजारी राम प्रसाद का कहना है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने महाकाल मंदिर का निर्माण किया था।
- पांडवों ने अपनी माता कुंती के साथ महाकाल की पूजा की थी।
अघोरी साधना का केंद्र है महाकाल मंदिर
- महाकाल मंदिर को अघोरी साधना और तंत्र विद्धया का भी केंद्र माना जाता है।
- पुजारी के मुताबिक सालों पहले महाकाल में शव नहीं जलने पर घास का पुतला जलाया जाता था।
- यहां 7 कुंड बने हुए हैं। लोगों की मान्यता है कि सप्त ऋषियों ने इसका निर्माण कराया था।
- बता दें कि आज भी 4 कुंड मंदिर परिसर में मौजूद हैं.। जबकि, तीन कुंड मंदिर परिसर से बाहर है।
शिव कुंड के पानी से होता है महाकाल का जलाभिषेक
- मंदिर के पुजारी राम प्रसाद शर्मा ने बताया कि ब्रह्म कुंड का पानी पीने के लिए प्रयोग होता है।
- वहीं, शिव कुंड के पानी का इस्तेमाल महाकाल के अभिषेक व नहाने के लिए किया जाता है, लेकिन सती कुंड के पानी का प्रयोग नहीं किया जाता।
- प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के वंशज की 3 महारानियां यहां सती हुई थीं।
- जिसके चलते मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पूर्वजों ने यहां मूर्ति स्थापित की थी।
- पुजारी रामकुमार ने बताया कि साल 2013 में सीएम वीरभद्र सिंह को महाकाल को लेकर सपना आया था।
- सीएम ने तब जाकर अपने पूर्वज योगीराज की मूर्ति यहां स्थापित की थी।
- बता दें कि भादो महीने के हर शनिवार को यहां मेला लगता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
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